Thursday, 21 August 2014

फ़ुतूरी


फ़ुतूरी दिल,
उल्फ़त की आढ़ में 
तेरा होने लगता है 
बावला ये मन
सपना बोने लगता है 

ये केसा फ़ुतूर चढ़ा है,
तुम्हारा ज़िक्र... मुझे, और 
मेरे लम्हों को कितनी आसानी से कमज़ोर बना देते है।।।


© Neha R Krishna

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