Neha R Krishna
Happy Reading...!
Thursday, 21 August 2014
फ़ुतूरी
फ़ुतूरी दिल,
उल्फ़त की आढ़ में
तेरा होने लगता है
बावला ये मन
सपना बोने लगता है
ये केसा फ़ुतूर चढ़ा है,
तुम्हारा ज़िक्र... मुझे, और
मेरे लम्हों को कितनी आसानी से कमज़ोर बना देते है।।।
© Neha R Krishna
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