Saturday, 27 September 2014

ज़िद्दी...

ठीक है,

तुम्हारी यहीं ज़िद है ना, कि तुम मेरे सपनो में आओगे, मिलने मुझसे

तो लो, इसी ज़िद में, तुम्हें और तुम्हारी ज़िद को ज़ेहन में रखते हुए

हम भी ये वादा करते है, कि,
अब हम अपनी आँखें कभी नहीं खोलेंगे...


© Neha R Krishna

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